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वासरू कविता 5वी | vasaru kavita marathi 5th

वासरू कविता 5वी | vasaru kavita marathi 5th



वासरू कविता 5वी | vasaru kavita marathi 5th


❇️ ऐका. म्हणा. वाचा.👇

ओढाळ वासरू रानी आले फिरू, 
कळपाचा घेरू सोडूनिया.

कानामध्ये वारे भरूनिया न्यारे, 
फेर धरी फिरे रानोमाळ.

मोकाट मोकाट अफाट अफाट, 
वाटेल ती वाट धावू लागे.

विसरुनी थान, भूक नि तहान, 
पायांखाली रान घाली सारे.

थकूनिया खूप सरता हुरूप, 
आठवे कळप तयालागी.

फिरू जाता मागे दूर जाऊ लागे,
आणखीच भागे भटकत. 

पड़ता अंधारू लागले हंबरू, 
माय ! तू लेकरू शोधू येई.
                                 
                      - अनिल


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