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gandhi jayanti speech | गांधी जयंती भाषण

gandhi jayanti speech | गांधी जयंती भाषण 

gandhi jayanti speech, गांधी जयंती भाषण

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भाषण - 2

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, यहां उपस्थित सभी शिक्षक गण और प्रिय छात्रों आप सभी का आज के इस कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत है।

आज 2 अक्टूबर को गाँधी जंयती के इस अवसर पर, मुझे इस बात की काफी प्रसन्नता है कि, मुझे आप सब के समक्ष हमारे आदर्श महात्मा गाँधी को लेकर अपने विचारो को प्रस्तुत करने का मौका मिल रहा है।

कभी ना कभी आपके मन में भी यह विचार आता होगा कि आखिर क्यों महात्मा गाँधी को हमारे देश का आदर्श माना जाता है ? विश्व भर में कई लोग उन्हें शांति और अहिंसा का रुप मानते हैं। हम रोज कई ऐसी घटनाएं सुनते है, जिसमें भारतीय छात्र और लोग अपना देश छोड़कर विदेशों में बस जा रहे है और भारतीय संस्कृति को भूल जाते है। लेकिन गाँधी जी एक ऐसे व्यक्ति थे, जो कई विदेश यात्राओं के बाद भी अपने देश को नही भूले और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने देश वापस लौटे तथा भारत के स्वतंत्रता के लिए निस्वार्थ भाव से संघर्ष किया।

गाँधी जी भारत को अंग्रेजो से आजाद कराने को लेकर अपने विचारों के प्रति काफी स्पष्ट थे। वह चाहते थे कि देशवासी अपने स्वतंत्रता के महत्व को समझे, उनका मानना था कि हम अपना देश चलाने में स्वंय सक्षम है और हमें दूसरों के विचारो तथा संस्कृति को अपनाने की कोई आवश्यकता नही हैं। यही कारण था कि उन्होंने देशवासियों से अंग्रेजी वेशभूषा का त्याग करने और भारतीय मिलों में बने खादी के कपड़ो को अपनाने के लिए कहा। इसके साथ गाँधी जी ने देश के लोगो से आग्रह किया कि वह खुद नमक बनाये और अंग्रेजी हुकूमत के नमक कानून का पालन ना करें।

अंग्रेजो के नमक कानून का विरोध करने के लिए गाँधी जी ने दांडी यात्रा की शुरुआत की, उनके इस आंदोलन में अमीर-गरीब, औरतों, बुजर्गों जैसे समाज के हर किसिने हिस्सा लिया। जिसने इस बात को साबित किया की महात्मा गाँधी समाज के हर तबके के सर्वमान्य नेता थे, इन्हीं विरोधों के चलते विवश होकर अंग्रेजों को नमक कानून को वापस लेना पड़ा।

गाँधी जी का हर कार्य प्रशंसनीय है, अपने जीवन में उन्हें ना जाने कितने ही बार जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने सदैव महिलाओं की तरक्की पर जोर दिया और आज उन्हीं के बदौलत महिलाएं पुरुषों के संग हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। गाँधी जी के सिद्धांत सिर्फ हम तक या हमारे देश तक ही सीमित नही थे, बल्कि की मार्टिन लूथर किंग जैसे लोगो ने भी रंगभेद की नीति के खिलाफ उनके अहिंसा के विचारों को अपनाया।

हमें सदैव उनका आभार मानना चाहिये, क्योंकि भारत के तरक्की और मानव जाति के सेवा के लिए उन्होंने अपने प्राणों को भी न्यौछावर कर दिया। उनकी सादगी भरे रहन-सहन और व्यक्तित्व के कारण लोग अपने आप को उनकी ओर आकर्षित होने से रोक नही पाते थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा और भारत को अंग्रेजो के अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए समर्पित कर दिया।

हम गाँधी जी के सहनशीलता और अहिंसा मार्ग से अपने जीवन में बहुत कुछ सीख सकते है, यदि हम इन्हें अपने जीवन में अपना ले तो संसार से ना जाने कितनी ही समस्याओं का अंत हो जायेगा। गाँधी जी ने ना सिर्फ देश के आजादी के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि की छुआछुत, जाति प्रथा तथा लिंग भेद जैसी समाजिक कुरितियों से भी लोहा लिया। उन्होंने मानवता की सेवा को ही सच्चा धर्म माना और आजीवन इसके सेवा के लिए तत्पर रहे। उनकी महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, जब उनकी हत्या हुई तो भी उनके मुख से ईश्वर का ही नाम निकला। उनकी महानता का वर्णन कुछ शब्दों में करना काफी मुश्किल है, उनका जीवन ना सिर्फ हमारे बल्कि आने वाले पीढ़ीयों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत हैं।

उनके विचार और त्याग सिर्फ हमें ही नही अपितु पूरे विश्व को यह बताने का कार्य करते है कि हमारे बापू कितने विनम्र और सहनशील थे और हमारे लिए उनसे अच्छा आदर्श शायद ही कोई हो सकता है। मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सबको मेरी ये बाते पसंद आयी हो और महात्मा गाँधी की यह बातें आपके जीवन में प्रेरणा का स्त्रोत बने। अब अपने इस भाषण को विराम देते हुए, मैं आपसे विदा लेने की आज्ञा चाहूँगा। मुझे इतने धैर्यपूर्वक सुनने के लिए आप सबका धन्यवाद !

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