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gandhiji information | गांधीजी इन्फॉर्मेशन

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भारत के सभी महान लोगों में महात्मा गांधी का नाम सबसे ऊपर रखा गया है। महात्मा गांधी ने दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्तियों में से एक ब्रिटिश राज का अहिंसा से बहिष्कार किया और भारत को आजादी दिलाने में सफलता प्राप्त की। उनकी मृत्यु के बाद भी पूरी दुनिया उन्हें अपना आदर्श मानती है। मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के पश्चिमी तट पर एक छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था। उनका जन्म वैश्य जाति के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद और माता का नाम पुतलीबाई था। मोहनदास गांधी पोरबंदर के एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़े। उनके दो भाई और एक बहन थी और वह सबसे छोटे थे। जब गांधी जी स्कूल में थे तब ही 13 साल की उम्र में उनका विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए और 1890 में एक वकील बनकर लौटे।

भारत आने के तुरंत बाद, उन्हें दादा अब्दुल्ला एंड कंपनी ने एक मुकदमा लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका जाने का प्रस्ताव दिया। जिसके बाद उन्होंने अपने केस स्टडी में पाया कि भारतीयों और अफ्रीकी लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। गांधी के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ आने वाली थी, जब वह ट्रेन में प्रथम श्रेणी के डिब्बे में चढ़ने लगे तो उन्हें रोक दिया गया। रंगभेद की इस घटना के बाद गांधी जी ने अपने अधिकारों की लड़ाई की वकालत की। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपना प्रवास रखा और उस बिल का विरोध किया जिसने भारतीयों को वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया था। गांधी इक्कीस साल तक दक्षिण अफ्रीका में रहे। उन्होंने अंग्रेजों द्वारा वहां भारतीयों के साथ किए गए अन्यायपूर्ण व्यवहार के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। जिसके बाद भारतीयों के लिए वह एक महान राजनीतिक नेता के रूप में उभरे।

जनवरी 1914 में गांधी जी अपने लोगों की सेवा करने और अपने देश में स्वतंत्रता लाने की महत्वाकांक्षा के साथ भारत लौटे। एक वर्ष बाद वह अहमदाबाद के साबरमती नदी के तट रहने लगे और 1915 में साबरमती आश्रम की स्थापना की। पहले उन्होंने इसका नाम सत्याग्रह आश्रम रखा, जिसे बाद में साबरमती आश्रम कहा जाने लगा। वहां उन्होंने लोगों की सेवा के लिए खुद को समर्पित किया और लोगों से सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और चोरी न करने की प्रतिज्ञा ली। जब रॉलेट एक्ट पारित किया गया, तब भारतीयों की नागरिक स्वतंत्रता को नकार दिया, जिसके बाद गांधी जी सक्रिय भारतीय राजनीति में आ गए। वह स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे आये और कुछ ही वर्षों में वह स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन के निर्विवाद नेता बन गए। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध किया और भारत को विदेशी कानून से मुक्त करने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन शुरू किया।

जिसमें 1920 में असहयोग आंदोलन, 1939 में सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक कानून तोड़ने और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन आदि शामिल है। इन आंदोलनों ने भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी और लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में एक साथ खड़ा कर दिया। गांधी जी ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अहिंसा और सत्याग्रह को अपने प्रमुख हथियार बनाये। गांधी के मार्गदर्शन और प्रभाव ने कई महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया। आंदोलनों के लिए गांधी जी को कई बार गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए उनके संकल्प को कोई रोक नहीं सका। उनके नेतृत्व में सभी भारतीयों ने स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाई। तब अंग्रेजों ने महसूस किया कि वह अब भारत में नहीं रह सकते हैं और 15 अगस्त 1947 को हमारे देश स्वतंत्र हो गया।

गांधी जी का भारतीय स्वतंत्रता में सबसे बड़ा योगदान रहा है। वह एक महान नेता और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने दुनिया भर के कई महान नेताओं को बिना हिंसा के अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रभावित किया। गांधी जी ने हिंदू-मुस्लिम एकता, छुआछूत, पिछड़े वर्गों के उत्थान, सामाजिक विकास के केंद्र, गांव का विकास, सामाजिक स्वतंत्रता और स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग आदि पर काफी जोर दिया। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को गांधीवादी युग भी कहा जाता है। गांधी जी सादा जीवन जीने और उच्च विचार में विश्वास रखते थे। वह लोकतंत्र के पक्षधार और तानाशाही शासन के विरोधी थे। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्त होने के 6 महीने बाद ही 30 जनवरी 1948 को नथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। वह उस समय शाम की प्रार्थना सभा में जार रहे थे। लेकिन वह मरने के बाद भी हर भारतीय के दिल में अमर हो गए। आज महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' के रूप में जाना जाता है, लोग उन्हें प्यार से 'बापू' भी बुलाते हैं। ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी को मेरा कोटि कोटि नमन...


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